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व्यायाम करें: रोजाना योग और हल्का व्यायाम करें।

अनाज: जौ, चोकर युक्त आटा, और ब्राउन राइस फाइबर का अच्छा स्रोत हैं।

बवासीर के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए?

डॉक्टर के परामर्श के लिए कैसे तैयारी करें?

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पाइल्स के रोगियों को कैफीन के सेवन से भी बचना चाहिए, ऐसा करने से आप बवासीर से मुक्ति पा सकते हैं।

मस्सों को साफ और सूखा रखें, हर मल त्याग के बाद अच्छे से गुदा की सफाई करें।

बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था check here में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।

क्रीम, ऑइंटमेंट और सपोसिटरी का उपयोग करें।

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सामान्य तौर पर, पढ़ने सहित, कमोड पर अत्यधिक समय व्यतीत करने को हतोत्साहित किया जाना चाहिए।

कम्प्यूटराइज्ड एग्जामिनेशन: कम्प्यूटर की मदद से रेक्टल एग्जामिनेशन के दौरान डॉक्टर मलाशय (रेक्टम) में एक दस्तानेयुक्त, नमीयुक्त उंगली को एम्बेड करते हैं और असामान्य गांठ का पता लगाते हैं। यह प्रक्रिया आंतरिक बवासीर की जांच के लिए की जाती है। आंतरिक बवासीर को आमतौर पर महसूस नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में अगर मरीज को अधिक दर्द और ब्लीडिंग होती है तो डॉक्टर रेक्टम जांच को रोक देते हैं।

त्रिफला चूर्ण : यह चूर्ण पाचन में सुधार और कब्ज को कम करके बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

इसे पाइल्स वाली जगह पर लगाने से खुजली और दर्द से आराम मिलता है.

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